Dhanteras

धनतेरस पर इस शुभ मुहूर्त में करें खरीददारी, जानिए पूजा विधि और महत्व

धनतेरस (Dhanteras) का त्यौहार दीपावली (Diwali) आने की पूर्व सूचना देता है। धनतेरस कार्तिक माह में कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को मनाया जाने वाला त्यौहार है। इस वर्ष धनतेरस 13 नवंबर, दिन शुक्रवार को मनाई जायेगी। शास्त्रों अनुसार जिस प्रकार देवी लक्ष्मी सागर मंथन से उत्पन्न हुई थीं, उसी प्रकार माना जाता है कि भगवान धन्वंतरि क्षीरसागर से अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। 

इसलिए वैद्य समाज हर्षोल्लास के साथ धन्वंतरि जयंती (Dhanvantari Jayanti) मनाता है| धनतेरस के दिन दीर्घायु और स्वस्थ जीवन की कामना से भगवन धन्वंतरि का पूजन किया जाता है| इस दिन यमराज की भी पूजा की जाती है| धनतेरस के दिन लक्ष्मी का आवास भी घर में माना जाता है| इस तिथि को पुराने वर्तनों के बदले नया वर्तन खरीदना शुभ माना गया है|

ऐसा विश्वास किया जाता है की इस दिन चांदी के वर्तन खरीदने से अधिक पुण्य लाभ मिलता है| देवी लक्ष्मी हालांकि धन की देवी हैं, परन्तु उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए हमको स्वस्थ्य और लंबी आयु भी चाहिए। यही कारण है कि दीपावली के दो दिन पहले से ही यानी धनतेरस से ही दीपामालाएं सजने लगती हैं।

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धनतेरस पर देवताओं के वैद्य धन्वन्तरी की पूजा का महत्व-

कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन ही भगवान धन्वन्तरी का जन्म हुआ था, इसलिए इस तिथि को  भगवान धन्वन्तरी के नाम पर धनतेरस कहते है। मान्यता अनुसार धन्वन्तरी जब प्रकट हुए थे तो उनके हाथों में अमृत से भरा कलश था। भगवान धन्वन्तरी चूंकि कलश लेकर प्रकट हुए थे, इसलिए ही इस अवसर पर बर्तन खरीदने की परंपरा है।

यह तो सर्व विदित है कि भगवान धन्वन्तरी देवताओं के वैद्य हैं और चिकित्सा के देवता माने जाते हैं इसलिए चिकित्सकों के लिए धनतेरस का दिन बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। आज भी कई डॉक्टर अपने अस्पताल का नाम धन्वन्तरी चिकित्सालय रखते हैं। ऐसे में आप भी धनतेरस के दिन दीप जलाककर भगवान धन्वन्तरि की पूजा करें और उनसे स्वास्थ एवं सेहतमंद बनाये रखने हेतु प्रार्थना करें।

धन तेरस का शास्त्रोक्त नियम –

धनतेरस कार्तिक माह में कृष्ण पक्ष की उदयव्यापिनी त्रयोदशी को मनाई जाती है। यहां उदयव्यापिनी त्रयोदशी से मतलब है कि, अगर त्रयोदशी तिथि सूर्य उदय के साथ शुरू होती है, तो धनतेरस मनाई जानी चाहिए।

धनतेरस के दिन प्रदोष काल (सूर्यास्त के बाद के तीन मुहूर्त) में यमराज को दीपदान भी किया जाता है। अगर दोनों दिन त्रयोदशी तिथि प्रदोष काल का स्पर्श करती है अथवा नहीं करती है तो दोनों स्थिति में दीपदान दूसरे दिन किया जाता है।

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धनतेरस की तिथि और शुभ मुहूर्त –

धनतेरस की तिथि:- 13 नबंवर 2020

त्रयोदशी तिथि प्रारंभ:- 12 नवंबर 2020 को शाम 21 बजकर 32 मिनट से

त्रयोदशी तिथि समाप्‍त:- 13 नवंबर 2020 को शाम 18 बजकर 01 मिनट तक

धनतेरस पूजा मुहूर्त:- 13 नवंबर 2020 को शाम 17 बजकर 34 मिनट से रात 18 बजकर 01 मिनट तक

अवधि:- 0 घंटे 27 मिनट 

प्रदोष काल : 17:28:10 से 20:07:11 तक

वृषभ काल : 17:34:00 से 19:29:51 तक

धनतेरस पर होती है दिल खोलकर खरीदारी –

ऐसा माना जाता है कि इस दिन धन (वस्तु) खरीदने से उसमें 13 गुणा वृद्धि होती है। धनतेरस के दिन चांदी खरीदने की भी प्रथा है। इसके पीछे यह कारण माना जाता है कि यह चन्द्रमा का प्रतीक है जो शीतलता प्रदान करता है और मन में संतोष रूपी धन का वास होता है। संतोष को सबसे बड़ा धन कहा गया है। लोग इस दिन ही दीपावली की रात लक्ष्मी गणेश की पूजा हेतु मूर्ति भी खरीदते हैं। हालांकि लोग सोना खरीदना भी पसंद करते हैं परन्तु लक्ष्मी चंचला होने से सोना खरीदना शुभ नही माना गया है क्योंकि सोना लक्ष्मी का ही रूप ही माना गया है। अतः इस दिन ज्योतिष विशेषज्ञ सोने की बजाय चाँदी या पीतल के बर्तन खरीदना ज्यादा शुभ समझते हैं।

धनतेरस की पौराणिक कथा –

पौराणिक काल में एक राजा हेम था। दैव कृपा से उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। ज्योंतिषियों ने बालक की कुंडली देख राजा को बताया कि जिस दिन इस बालक का विवाह होगा, उसके ठीक चार दिन के बाद वह मृत्यु को प्राप्त होगा। राजा ने यह जानकर राजकुमार को दैवयोग में ऐसी जगह पर भेज दिया, जहां किसी स्त्री की परछाई भी न पड़े। 

दैवयोग से एक दिन एक राजकुमारी उधर से गुजरी और दोनों एक दूसरे को देखकर मोहित हो गये और उन्होंने विवाह कर लिया। विवाह के चार दिन बाद यम दूत उसके  प्राण लेने आ पहुंचे। जब यमदूत राजकुमार के प्राण ले जा रहे थे तो उस नव विवाहिता पत्नी का विलाप सुन कर दूतों का मन पसीज गया और उन्होने यमराज से कोई ऐसा उपाय पूछा जिससे वो अकाल मृत्यु से बच जाएँ। 

दूत के इस प्रकार अनुरोध करने से यमदेवता बोले, “अकाल मृत्यु तो कर्म की गति है। इससे मुक्ति का एक आसान तरीका मैं तुम्हें बताता हूं। सो सुनो- कार्तिक कृष्ण पक्ष की रात जो प्राणी मेरे नाम से पूजन करके दीप माला दक्षिण दिशा की ओर भेट करता है, उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है। ”यही कारण है कि लोग इस दिन घर से बाहर दक्षिण दिशा की ओर दीप जलाकर रखते हैं। इसके अलावा सांय काल के समय एक दीपक तेल से भरकर प्रज्वलित करे और गन्धादि से पूजन करके अपने मकान के द्वार पर अन्न की ढेरी पर रखे। स्मरण रहे यह दीपक रात भर बुझना नही चाहिये। ऐसा करने से पूरे वर्ष भर शुभ ही शुभ होता है।

राशियों के लिए खरीदारी की प्रमुख वस्तुएं-

निम्न तालिका से कोई भी व्यक्ति यह जान सकता है कि उसे धनतेरस के दिन कौन सी वस्तु किस समय मे खरीदनी चाहिये।

मेष और वृश्चिक  राशि वाले लोगों को लाल और पीली रंग की धातु तांबा और पीतल का सामान खरीदना चाहिए|

मिथुन और कन्या राशि वाले लोगों को – हरे रंग की वस्तुयें, पीतल,

कर्क राशि वालों को – चांदी, सफेद रंग की वस्तुयें, कांसा

सिंह राशि वालों को – सुनहरी रंग की चीजे जैसे पीतल के बर्तन,

तुला और वृष राशि वालों को – हीरे, सफेद रंग की वस्तुये कांसे के बर्तन

मकर और कुम्भ राशि वालों को – वाहन, स्टील के बर्तन.

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